भारत पर अमेरिकी टैरिफ: क्या यह दबाव है या भारत की बढ़ती ताकत का संकेत?
गाज़ीपुर, 1 अगस्त 2025 —
अमेरिका के दोबारा राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत समेत कुछ देशों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। खास बात यह रही कि ट्रंप ने भारत का नाम लेकर कहा कि “भारत ने ट्रेड डील में लचीलापन नहीं दिखाया, इसलिए टैरिफ बढ़ाना पड़ा।” यह बयान वैश्विक राजनीति में हलचल मचाने वाला साबित हुआ।
लेकिन क्या वाकई भारत ने अमेरिका के दबाव में आकर झुकने से मना कर दिया?
या फिर यह भारत की बढ़ती ताक़त और स्वतंत्र विदेश नीति की गवाही है?
🔥 ट्रंप का दावा: भारत-पाक युद्ध रोका! लेकिन सच्चाई कुछ और…
ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध उन्हीं ने रुकवाया था।
लेकिन सच्चाई यह है कि भारत ने किसी भी विदेशी दबाव को खारिज किया , और पूरे क्षेत्र में सख्त राजनयिक रणनीति के साथ काम किया। अगर भारत वाकई अमेरिका के दबाव में होता, तो टैरिफ का दंड क्यों झेलता?
इससे यह साफ है कि ट्रंप की बातों में राजनीतिक ड्रामा ज़्यादा है, सच्चाई कम।
🌍 भारत की वैश्विक भूमिका: न क्वॉड छोड़ता, न ब्रिक्स को नजरअंदाज़ करता
आज भारत की विदेश नीति किसी एक ध्रुव पर नहीं टिकी है।
भारत:
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ब्रिक्स और एससीओ (Shanghai Cooperation Organisation) जैसे संगठनों में रूस और चीन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता है,
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तो वहीं क्वॉड (QUAD) में अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के साथ इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा पर भी काम करता है।
भारत ने हाल ही में ब्रिक्स की अध्यक्षता की, वहीं क्वॉड की वॉशिंगटन बैठक में भी प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका अहम रही।
भारत न किसी का पिछलग्गू है, न कठपुतली।
भारत अपने “हित” और “नीति” से चलता है — और यही उसकी असली ताक़त है।
🔧 7 दिन का टैरिफ विस्तार: दबाव नहीं, भारत की परीक्षा
ट्रंप द्वारा लगाए गए 7 दिन के अस्थायी टैरिफ विस्तार को अमेरिकी मीडिया ने भी यह माना कि यह भारत को झुकाने का प्रयास है।
लेकिन भारत ने कोई घबराहट नहीं दिखाई, न ही कोई विशेष बयान जारी किया।
इससे यह साफ होता है कि भारत हर मुद्दे को अपने हित और वैश्विक संतुलन के आधार पर देखता है, न कि भावनात्मक दबाव में।
🇮🇳 भारत की आर्थिक और कूटनीतिक शक्ति लगातार बढ़ रही है
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भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर है।
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भारत डिजिटल पेमेंट, स्पेस टेक्नोलॉजी, और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है।
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रूस से तेल खरीद, फ्रांस से रक्षा डील, और अमेरिका से टेक्नोलॉजी साझेदारी — भारत हर मंच पर “भारत फर्स्ट” नीति पर अडिग है।
📢 निष्कर्ष: दबाव नहीं, पहचान है यह
जब कोई बड़ी शक्ति किसी देश को नाम लेकर धमकाने लगे,
तो समझिए वह देश अब दुनिया को प्रभावित करने लगा है।
भारत अब न नया खिलाड़ी है, न दबाव में चलने वाला मुल्क।
यह एक नये युग का भारत है — जहां दोस्ती हो या मुकाबला, शर्तें भारत तय करता है।
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