आखिर वोट क्यों डालें ?



       गाज़ीपुर टुडे न्यूज


 
दोस्तों मै आशीष पांडेय और आज चर्चा करेंगे हम लोकसभा चुनाव को लेकर। दोस्तों 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत ही नजदीक आ गया है। आचार संहिता भी लग गयी है और चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है लेकिन हर बार की बात इस बार भी हम लोग चुनाव के अर्थ और महत्व से दूर होते जा रहे हैं। चुनाव का असल मायने में अर्थ क्या है ? चुनाव का अर्थ है कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों अर्थात हजारों, लाखों, करोड़ों के बीच उस व्यक्ति का चुनाव करना (जिस उद्देश्य चुनाव हो रहा है) उसके काबिल हो लेकिन आज के समय में काबिलियत की परिभाषा जातिवाद, धर्मवाद, परिवारवाद, क्षेत्रवाद और भाषावाद तक सिमट कर रह गई है और आरोप प्रत्यारोप के दौर में किसी भी नेता या पार्टी को लेकर कुछ प्रतिक्रिया देना भी चुनौतियों से कम नहीं है। असल में चुनाव जिस मुद्दे को लेकर हो रहा है वह मुद्दा कहां है? यह भी कटु सत्य है कि कुछ ऐसे मुद्दे थे जो सामान्य जनमानस के लिए जरूरी थे। जैसे बिजली, पानी, सड़क,  रोटी और मकान। अब वह लगभग लगभग समाप्त हो चुके हैं। यूं कहें तो 90% लोगों तक दैनिक जीवन की चीज पहुंच गई हैं। ऐसा नहीं है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने कुछ नहीं किया लेकिन उनकी योजनाएं देश की अंतिम व्यक्तित्व तक पहुंच नहीं पाई लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा इसको लेकर सराहनीय पहल की गई जैसे सौभाग्य योजना से बिजली, जल जीवन मिशन से पानी, प्रधानमंत्री ग्रामीण एवं शहरी सड़क योजना से सड़क, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना और प्रधानमंत्री किसान सम्मन निधि योजना के तहत रोटी, प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान लेकिन अब इन पांच मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के बाद हमें कुछ और आवश्यक मुद्दों के बारे में सोचने की जरूरत है। जो कि समय के साथ जन्म लेते हैं और वह मुख्य मुद्दा है बेलगाम जनसंख्या वृद्धि । यह ठीक उसी तरह है जैसे पेट में कब्ज बन जाए तो सैकड़ो बीमारियों को जन्म देता है। इस तरह से अगर जनसंख्या को नियंत्रण न किया जाए तो यह हजारों समस्याएं पैदा करेगा। क्योंकि आबादी बढ़ेगी तो संसाधनों का उपभोग बढ़ेगा और जो संसाधन सीमित हैं उनकी मांग अधिक बढ़ने की वजह से महंगाई का जन्म होगा और जब महंगाई बढ़ेगी तो आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक धन की जरूरत पड़ेगी, अधिक धन की पूर्ति के लिए अपराध बढ़ेगा और अपराध बढ़ेगा तो कानून व्यवस्था बिगड़ेगी, जब कानून व्यवस्था बिगड़ेगी तो देश और राज्यों में अस्थिरता पैदा होगी और जब अस्थिरता पैदा होगी तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनावश्यक संकटों का सामना करना पड़ सकता है। हालिया कुछ रिपोर्ट की माने तो भारत दुनिया की नंबर एक आबादी वाला देश बन चुका है। जो कि वास्तव में चिंता का विषय है। सरकार और कुछ बुद्धिजीवों का कहना है कि भारत आबादी ज्यादा होने की वजह से एक बड़ा बाजार बन चुका है। जो कि देश के लिए फायदेमंद है लेकिन  चिंता इस बात को लेकर है कि यह बाजार कब तक व्यवहार में रहेगा। एक समय ऐसा आएगा जब चीजे नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। तो इसका बहुत बड़ा खामियांजा भुगतना पड़ सकता है। वर्तमान सरकार के द्वारा जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की बात पहले से ही कहीं जा रही है लेकिन अब तक इस पर कुछ खास पहल देखने को नहीं मिली। अगर इस मुद्दे को इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रमुखता दी जाए तो बहुत ही संतोषजनक रहेगा।

Comments

Popular posts from this blog

2 अक्टूबर से शुरू होगी चकिया की रामलीला

Exclusive रिपोर्ट | 2025 भारत-पाक युद्ध: क्या ट्रंप ने सच में युद्ध रुकवाया? सच्चाई चौंकाने वाली है

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव का बजा बिगुल, तैयारी की अधिसूचना जारी